गुणकारी मकोय (Black nightshade) पौधे के औषधीय लाभ

गुणकारी मकोय (Black nightshade) पौधे के औषधीय लाभ

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मकोय विभिन्न रोगों में उपयोग किया जाने वाला चमत्कारी पौधा है। मकोय को वैज्ञानिक रूप से सोलनम नाइग्रम के नाम से जाना जाता है

आयुर्वेद में इसके कई चिकित्सीय और स्वास्थ्य लाभों के कारण इसे एक आश्चर्यजनक जड़ी बूटी के रूप में देखा जाता है मकोय का इस्तेमाल सांस संबंधी विकारों को दूर करने, पेशाब बढ़ाने, कुष्ठ और बुखार में लाभकारी है। किडनी, सूजन, बवासीर, दस्त या कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में मकोय का सेवन किया जाता है। यह वात, पित्त, कफ (त्रिदोष) से मुक्ति दिलाने में फायदेमंद होता है। मकोय चिकना और थोड़ा गर्म प्रकृति का होता है। 

मकोय की पहचान -  मकोय एक छोटा-सा पौधा है जो भारत के छाया-युक्त स्थानों में हमेशा पाया जाता है। मकोय में पूरे वर्ष फूल और फल देखे जा सकते हैं।

  •  मकोय में शाखायुक्त एक डेड़ फुट तक उँची, तथा शाखाओं पर उभरी हुई रेखाएं होती हैं। इसके पत्ते हरें, अंडाकर या आयताकार, दन्तुर या खण्डित, 2-3 इंच लम्बे, एक डेड़ इंच तक चौड़े होते हैं। 
  •  फूल छोटे, सफेद वर्ण (रंग) बहिकक्षीय फूल दंडों पर 3 से 8 गुच्छों में नीचे झुके होते हैं। 
  • मकोय का फल बिल्कुल छोटे आकार का चिकना और गोलाकार होता है। यह अपरिक्व अवस्था में हरे रंग के और पकने पर नीले या बैंगनी रंग के, कभी-कभी पीले या लाल होते हैं।  इसके बीज छोटे, चिकने, पीले रंग के, बैंगन के बीजों की तरह होते है परन्तु बैंगन के बीजों से बहुत छोटे होते हैं। पकने पर फल का रंग बैंगनी होता है और मीठे लगते हैं। पक्के हुए बैंगनी रंग के मकोय उत्तम माने जाते हैं।

मकोय के वानस्पतिक वर्गीकरण के अनुसार मूल नाम:-

मकोय का पौधा सोलेनेसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम सोलनम निग्रम है। मकोय को साधारण भाषा में इस ब्लैक नाइटशेड के नाम से भी जाना जाता है।

संस्कृत नाम: काकामाची, काकाहवा

अंग्रेजी नाम: गार्डन नाइटशेड, कॉमन नाइटशेड, प्रिटी मोरेल

हिंदी नाम: मकोय, मकोय, मकोय

कन्नड़ नाम: गणिकेगिडा, गणिके, गणिकायेगिडा

मराठी नाम: कामोनी 

तेलुगु नाम: कामांची, कांची पोंडा

तमिल नाम: मनथक्कलि, मनार्थक्कलि

उर्दू नाम: मको, मकोह

पंजाबी नाम: मैको 

मकोय का पंचांग: मकोय का जड़, तना, पत्ते,फल और फूल को पंचांग कहा जाता है। पञ्चांग में मकोय के सारे तत्व सम्मिलित होते हैं। इसकी कटिंग करके छाया में सुखा लें।

10 ग्राम मात्रा में 200 ग्राम पानी मिलाकर उसे उबालकर काढ़ा बना लें जब ये काढ़ा ¼ रह जाए। इसे छान करके ठंडा होने पर सेवन करें। 

मकोय के पंचांग के साग का सेवन करने से अनेकों रोगों में लाभ मिलता है। जैसे पाइल्स, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थमा,सूजन और लिवर सबंधित समस्याएं दूर होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार मकोय एक दिव्य पौधा है।

मकोय के औषधीय लाभ और प्रयोग विधि 

  1. मधुमेह -  यदि आपको मधुमेह की समस्या है तो आप मकोय के सूखे  बीजों को पीस कर पाउडर बना लें और सुबह शाम 1- 1  चम्मच  सेवन करें, यह पाउडर आपको पंसारी की दुकान पर सरलता से उपलब्ध हो जायेगा। 
  1. शारीरिक कमजोरी -  जो शारीरिक कमजोरी से ग्रस्त है वे मकोय के सूखे बीजों का पाउडर बना लें यदि मधुमेह के रोगी नहीं हैं तो बराबर मात्रा में धागा मिश्री मिलाकर सुबह शाम 1-1 चम्मच सेवन करें। इससे आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होगी और पेट संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलेगी, इससे आपकी शरीर शक्ति भी बढ़ेगी और आंतो का संक्रमण भी ठीक हो जायेगा।
  1. फैटी लिवर -  यदि आपको फैटी लिवर की समस्या है तो आप मकोय के पञ्चांग का साग बनाकर सेवन करे या काढ़े के रूप में सेवन करें। यह पौधा आपके  फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस एवं अन्य लिवर संबंधित समस्याओं को दूर करेगा।
  1. पीलिया रोग -  जिसको पीलिया रोग की समस्या है और भूख नहीं लगती  वे मकोय की पत्तियों का रस निकालकर आधा कप सुबह शाम सेवन करें। इसके सेवन से भयंकर उल्टी से निजात मिलेगी, भूख लगने लगेगी एवं पीलिया रोग ठीक हो जायेगा।
  1. गुर्दे की पथरी -  गुर्दे की पथरी होने पर मकोय के पञ्चांग का साग बनाकर 15 दिनों तक लगातार सेवन करें। यदि ताजा मकोय उपलब्ध नहीं है तो मकोय पंचांग को सुखाकर उसके टुकड़े कर लीजिए और 10 ग्राम मकोय को 200 ग्राम जल में उबालकर काढ़ा बना लीजिए जब यह काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो उसको छानकर पीजिए इससे किडनी रोगों में लाभ होगा।
  1. हृदय रोग-  मकोय  के  पंचांग  का काढ़ा बनाकर पीने से हृदय रोगों में भी लाभ होता है मकोय का काढ़ा दिव्य औषधि है। यदि बुजुर्गों के हृदय के गति कम होने लगे तो वे मकोय के पंचांग का क्वाथ बनकर सेवन करें। 5 ग्राम अर्जुन की छाल वह 5 ग्राम मकोय  को 200 ग्राम पानी में जब एक से डेढ़ कप बच जाए तो उसे छानकर पी लें इसके सेवन से हृदय की गति सामान्य होगी और हृदय संबंधित सभी समस्याएं दूर होगी।
  1. अनिद्रा की समस्या: जिनको नींद नहीं आती वे मकोय की 10 ग्राम जड़ को 400 ग्राम  पानी में पकाकर  जब वह 100 ग्राम बच जाए तब उसमे थोड़ा। गुड़ मिलाकर सेवन करें, इससे अच्छी नींद आएगी और  पेट भी साफ रहेगा।
  1. चर्म रोग: आयुर्वेद के अनुसार मकोय का पौधा स्किन सोरायसिस फंगल इन्फेक्शन आदि अन्य समस्याओं में भी लाभकारी है। यह वात, पित्त, कफ (त्रिदोष) से मुक्ति दिलाने में फायदेमंद होता है। 

स्वामी कर्मवीर जी के अनुसार,  "अत्यधिक मात्रा में पपीते का सेवन करने से बवासीर की समस्या होती है, जंक फूड खाने से कब्ज की समस्या होती है जिससे 3-4 साल बाद बवासीर हो जाती है, ऐसी स्थिति में शुद्ध सात्विक आहार ले। सब्जियों का ज्यादा प्रयोग करें।

हरी पत्ती वाला साग जैसे मेथी, पालक, सरसों और चने के साग का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कई प्रदेशों में इसका अत्यधिक प्रयोग किया जाता है जो अनेक बीमारियां पैदा करता हैं।

  • हड्डियों को गलाता है।
  • सुंदरता को नष्ट करता है।
  • शक्ति का ह्रास करता है।
  • बुद्धि को नष्ट करता है।
  • बालो को समय से पूर्व सफेद करता है।
  • नेत्र ज्योति का नाश करता है।

मेथी, पालक, सरसों और चने के साग को आयुर्वेद में निषेध किया गया है।

मकोय के साग का सेवन करने से अनेकों रोगों में लाभ मिलता है। जैसे पाइल्स, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थमा,सूजन और लिवर सबंधित समस्याएं दूर होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार मकोय एक दिव्य पौधा है।

2 comments

Sameer khan

Sameer khan

My boy eye problem not looking well in night

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Shobha agarwal

Shobha agarwal

I want black nightshade fruit

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