सोरायसिस क्यों होता है और आयुर्वेद के माध्यम से क्या इसका इलाज संभव है?

सोरायसिस क्यों होता है और आयुर्वेद के माध्यम से क्या इसका इलाज संभव है?

कभी सोचा है आपकी त्वचा आपसे क्या कह रही है? ये सिर्फ खूबसूरती के बारे में नहीं! आपकी त्वचा आपकी पूरी सेहत की कहानी सुना रही है!

क्या आप जानते हैं दुनिया में 3,000 से ज्यादा तरह की त्वचा की परेशानी हो सकती है! डरावना लगता है ना? इसीलिए स्किनकेयर सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि आपकी सेहत के लिए भी ज़रूरी है।

आज हम बात करेंगे एक ऐसी परेशानी की जो बहुत लोगों को होती है - सोरायसिस (Psoriasis)। ये एक छिपी हुई बीमारी है जो करीब 2-3% लोगों को परेशान करती है। इसमें शरीर पर जिद्दी, सूखे धब्बे और पपड़ी बन जाती है जो जाने का नाम नहीं लेती। आगे जानेंगे ये इतनी परेशानी क्यों है और लोगों की ज़िंदगी को कैसे प्रभावित करती है!

सोरायसिस क्या होता है?

कभी-कभी त्वचा पर लाल, खुजलीदार पपड़ीदार पैच हो जाते हैं? ये सोरायसिस के लक्षण हो सकते हैं! इसमें त्वचा फट भी सकती है और खून भी निकल सकता है। ये काफी तकलीफदेय होता है।

आयुर्वेद में, जो एक प्राचीन भारतीय इलाज है, इसे "किटिभ (Kitibha)" कहा जाता है। आयुर्वेद में मानते हैं कि ये तब होता है जब शरीर की दो ऊर्जाएँ, वात (Vata) और कफ (Kapha), असंतुलित हो जाती हैं।

अगर इसका इलाज ना कराया जाए, तो सोरायसिस और ज्यादा बढ़ सकता है। इसीलिए बहुत लोग आयुर्वेदिक इलाज करवाते हैं। ये सिर्फ लक्षणों को कम करने की कोशिश नहीं करता, बल्कि असल कारण को ठीक करने की कोशिश करता है।

क्षेत्र (Area)

लक्षणों का विवरण (Description of Symptoms)

घुटने (Knee)

खुजलीदार, रूखी त्वचा, जिसमें कभी-कभी खून भी निकल सकता है

हथेलियाँ (Palms)

रूखापन, परतें और त्वचा में दरारें

निचली पीठ (Lower Back)

खुजली वाले लाल चकत्ते जो त्वचा को छूने पर परेशान करते हैं

चेहरा (Face)

लाल धब्बे जो दिखाई देते हैं और परेशानी का कारण बन सकते हैं

पैरों के तलवे (Soles of Feet)

दर्द वाली दरारें, रूखापन, चलने में परेशानी

सिर (Head)

सिर पर पपड़ीदार परतें, खुजली और रूसी जैसी परतें

पैर (Leg)

बड़े, खुजली वाले धब्बे जो जलन पैदा कर सकते हैं

कोहनी (Elbow)

मोटी, उभरी हुई गांठें जिन पर सफेद परत चढ़ी हो

 

सोरायसिस रोग होने का मुख्य कारण क्या है?

सोरायसिस बस खुजली या लाल धब्बे नहीं है। यह एक गंभीर बीमारी है जो कई कारणों से हो सकती है। अगर आपके माता-पिता को यह बीमारी है, तो आपको भी हो सकती है। पर सिर्फ यही नहीं, आपकी रोजमर्रा की आदतें और आसपास का वातावरण भी इसे बढ़ा सकते हैं।

इसे समझने के लिए सोचिए - जब शरीर की इम्यून सिस्टम कमजोर हो, खाना-पीना ठीक न हो, और पेट की सेहत अच्छी न हो, तो शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। इसी वजह से त्वचा पर सूखे, खुरदरे दाग दिखाई देते हैं। ये समस्याएं पहले शरीर के अंदर शुरू होती हैं, फिर बाहर त्वचा पर नजर आती हैं।

कारण (Causes)

 

डिस्क्रिप्शन (Description)

वंश (Family history)

अगर परिवार में ये बीमारी है तो आपको भी होने का खतरा ज्यादा रहता है

गलत खानपान (Poor diet)

जंक फूड या पैक्ड फूड खाने से शरीर में गंदगी जमा हो सकती है, जिससे सोरायसिस हो सकता है

तनाव (Stress)

ज्यादा तनाव सोरायसिस को शुरू कर सकता है या इसे और बढ़ा सकता है

कमजोर इम्यूनिटी (Weak immunity)

कमजोर इम्यूनिटी से सोरायसिस होने का खतरा बढ़ जाता है

वातावरण (Environment)

गंदगी या ज्यादा उमस वाली जगहों पर रहने से सोरायसिस की समस्या बढ़ सकती है.

खतरनाक केमिकल (Harsh chemicals)

साबुन या क्रीम में मौजूद खतरनाक केमिकल त्वचा को परेशान कर सकते हैं, जिससे सोरायसिस बिगड़ सकता है

हार्मोन्स (Hormones)

हार्मोनों में बदलाव, खासकर महिलाओं में, सोरायसिस को ट्रिगर कर सकते हैं

पाचन की समस्या (Poor digestion)

अगर पाचन शक्ति कमजोर है तो सोरायसिस की परेशानी बढ़ सकती है. अच्छी पाचन शक्ति त्वचा को भी स्वस्थ रखती है!

गलत लाइफस्टाइल (Unhealthy lifestyle)

कसरत की कमी, धूम्रपान या ज्यादा शराब पीना सोरायसिस को बढ़ा सकता है

कुछ दवाइयां (Certain medications)

कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट के रूप में सोरायसिस हो सकता है

चोट (Skin injuries)

चोट, खरोंच या धूप से जलना सोरायसिस के धब्बे पैदा कर सकता है

विटामिन D की कमी (Lack of vitamin D)

विटामिन D की कमी सोरायसिस से जुड़ी होती है

 

आयुर्वेद अनुसार सोरायसिस  होने का क्या कारण है?

आयुर्वेद की प्रसिद्ध पुस्तक 'चरक संहिता' में त्वचा की बीमारियों के बारे में बहुत कुछ लिखा है। इस किताब में कुष्ठ रोग के 18 तरह बताए गए हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो आजकल की सोरायसिस बीमारी जैसे लगते हैं।

आयुर्वेद में माना जाता है कि हमारे शरीर को दो चीजें चलाती हैं: "वात" और "कफ"। जब ये दोनों चीजें ठीक से काम नहीं करती हैं, तो शरीर में गंदगी जमने लगती है। ये गंदगी खून, मांसपेशियों और शरीर के उन रास्तों में जमा होती है जो गंदगी को बाहर निकालते हैं। इस वजह से, शरीर के अंदरूनी हिस्से भी खराब होने लगते हैं।

कुछ खाने की चीजों को आपस में गलत मिला कर खाने से, शराब या सिगरेट पीने से, कुछ दवाइयों से, तनाव से और मन उदास रहने से भी सोरायसिस हो सकता है। आयुर्वेद मानता है कि शरीर एक जुड़ा हुआ ढांचा है, जहां एक जगह की परेशानी पूरे शरीर को परेशान कर सकती है।

सोरायसिस के आम लक्षण हैं: त्वचा पर पपड़ी, लाल उभरे हुए धब्बे, खुजली, जलन, दर्द, छाले, खून निकलना और सूजन। ये लक्षण शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दिख सकते हैं। यह बीमारी छूने से नहीं फैलती, लेकिन परिवार में किसी को हो तो दूसरों को होने का खतरा बढ़ जाता है।

अगर आपको ये लक्षण दिखें, तो जल्द से जल्द आयुर्वेदिक इलाज शुरू करना चाहिए। आयुर्वेद इस बीमारी की जड़ को ठीक करने की कोशिश करता है। यह सिर्फ त्वचा को नहीं, बल्कि पूरे शरीर और मन को स्वस्थ करने पर ध्यान देता है। समय रहते इलाज शुरू करने से बीमारी बढ़ने से रोका जा सकता है और सोरायसिस से परेशान लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

सोरायसिस रोग कितने प्रकार का होता है?

सोरायसिस की कई तरह की होती हैं, जिनमें से कुछ है:

साधारण सोरायसिस (Plaque Psoriasis): इसमें त्वचा पर लाल, उबरी हुई गांठें बनती हैं जिनपर सफेद, चिपचिपा पदार्थ होता है। ये गांठें शरीर कहीं भी हो सकती हैं।

छिपी हुई सोरायसिस (Inverse Psoriasis): इसमें चिकनी लाल चकत्तियां बगल, कमर और छाती के नीचे की तह में होती हैं। ये जगहें लाल और नम दिखती हैं और छूने में दर्द करती हैं।

नाखून का सोरायसिस (Nail Psoriasis): इससे हाथ-पैर के नाखूनों में गड्ढे पड़ सकते हैं, नाखून टेढ़े-मेढ़े बढ़ सकते हैं या रंग बदल सकते हैं। कभी-कभी नाखून त्वचा से अलग भी हो सकते हैं।

जोड़ों का सोरायसिस (Psoriatic Arthritis): ये न सिर्फ त्वचा को बल्कि हड्डियों के जोड़ों को भी प्रभावित कर देता है, जिससे जोड़ों में दर्द होता है। ये शरीर के किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है और अगर इलाज न कराएं तो जोड़ों को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

सोरायसिस  रोग की पहचान कैसे करें व इसके लक्षण क्या होते हैं?

सोरायसिस लम्बे समय तक रह सकती है और हर किसी में अलग-अलग लक्षण दिखा सकती है. आइए देखें इसके कुछ आम लक्षण कौन से हैं:

  1. चांदी या सफेद परत (Silvery or White Scales): सोरायसिस में अक्सर लाल उभरे हुए धब्बे बनते हैं जिन पर मोटी चांदी या सफेद परत जमी रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा की कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं।
  2. धब्बों के आसपास दर्द (Soreness Around Patches): सोरायसिस के धब्बों के आसपास की त्वचा में दर्द और जलन हो सकती है, जिससे यह जगह छूने या हिलने-डुलने पर तकलीफदेह हो सकती है।
  3. तेज खुजली और जलन (Severe Itching and Burning): सोरायसिस वाले कई लोगों को बहुत तेज खुजली होती है और धब्बों के आसपास जलन भी महसूस हो सकती है। इससे खुजलाने की इच्छा होती है, लेकिन इससे हालात और खराब हो सकती है।
  4. सूजी हुई त्वचा (Inflamed Skin): सोरायसिस के कारण त्वचा लाल और सूज जाती है, जिससे दर्द हो सकता है।
  5. रूखी त्वचा जिसमे दरारें पड़ें और खून निकले (Dry Skin That Cracks and Bleeds): सोरायसिस के कारण त्वचा बहुत रूखी हो सकती है, जिसमे दरारें पड़ सकती हैं और खून भी निकल सकता है। यह दर्दनाक हो सकता है और संक्रमण का कारण भी बन सकता है।
  6. जोड़ों में सूजन (Joint Swelling): कुछ लोगों में सोरायसिस के साथ जोड़ों में दर्द और सूजन भी होती है, जिसे सोराय अर्थराइटिस (जोड़ों का गठिया) कहते हैं। इससे शरीर को हिलाना मुश्किल और असहज हो सकता है।

सोरायसिस रोग हमारे किन किन अंगों में हो सकता है?

सोरायसिस शरीर के कई हिस्सों को असर डाल सकता है, लेकिन कुछ जगहों पर यह ज्यादा होता है। चलिए देखते हैं कि शरीर के कौन-कौन से हिस्से सोरायसिस से सबसे ज्यादा होते हैं:

सिर की त्वचा (Scalp): बहुत से लोगों में सोरायसिस सिर की त्वचा पर होता है। ये माथे पर, बालों की जड़ों के आसपास और गर्दन के पीछे हो सकता है।

कोहनी और घुटने (Elbows and Knees): ये दो जगहें सोरायसिस के सबसे आम प्रकार "प्लाक सोरायसिस" के लिए जानी जाती हैं। इसमें लाल उभरे हुए धब्बे बनते हैं जिन पर सफेद परत जमी रहती है।

गुप्तांग क्षेत्र (Genital Area): कई लोगों को कभी न कभी अपने गुप्तांग के हिस्सों में सोरायसिस होता है।

चेहरा (Face): काफी लोगों में सोरायसिस चेहरे पर होता है, खासकर आंखों की भौंहों के आसपास, नाक के आसपास और होठों के पास।

हाथ और पैर (Hands and Feet):यह हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को भी असर डाल सकता है, जिसे "पामोप्लांटार सोरायसिस" कहते हैं। इससे चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है।

त्वचा की सिलवटें (Skin Folds): "इनवर्स सोरायसिस" त्वचा की सिलवटों को असर डालता है, जैसे बगल के नीचे, छाती के नीचे और कमर में। इससे बहुत तेज खुजली और जलन हो सकती है।

शुरुवाती समय में सोरायसिस का घरेलु उपचार कैसे करें?

ये आसान घरेलू नुस्खे सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं:

नमी बनाए रखें: रुखी त्वचा खुजली बढ़ाती है, इसलिए त्वचा को नम रखना जरूरी है. नारियल का तेल या शिया बटर जैसे प्राकृतिक तेल लगाएं।

ओटमील स्नान: ओटमील से भरे गुनगुने पानी में नहाने से जलन कम होती है. केमिस्ट से पिसे हुए ओटमील (कोलोइडल ओटमील) खरीदें या घर पर सादा ओटमील पीसकर बनाएं।

एलोवेरा: एलोवेरा जेल सूजन कम करता है और घाव भरने में मदद करता है. यह लालिमा और जलन कम करने में भी मदद करता है। प्रभावित जगह पर सीधे लगाएं।

नीम का तेल: नीम के तेल में सूजन कम करने और फंगस से लड़ने के गुण होते हैं। थोड़ा सा नीम का तेल किसी और तेल (नारियल या जैतून का तेल) में मिलाकर लगाएं।

हल्दी: हल्दी सोरायसिस के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसे त्वचा पर लगाएं या खाने में शामिल करें।

ओमेगा-3 फैटी एसिड: फिश ऑयल (fish oil) और फ्लैक्स सीड ऑयल (flaxseed oil) के तेल जैसे ओमेगा-3 से भरपूर आहार सूजन कम कर सकते हैं और सोरायसिस के लक्षणों को कम कर सकते हैं।

तनाव कम करें: तनाव से सोरायसिस बढ़ सकता है। योग, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम या रोजाना की कसरत करके तनाव कम करें।

भारत के वैद्य सोरायसिस औषधि से क्या वाकई में यह ठीक हो सकता है?

औषधि लेने का तरीका क्या है?

त्वचा की चमक बढ़ाने के लिए हम कई उपाय करते हैं। कभी-कभी त्वचा की समस्याएं हमें परेशान करती हैं। इन्हीं समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करता है भारत के वैद्य का त्वचा उपचार पैकेज। इसमें तीन चीजें होती हैं:

  1. त्वचा का तेल
  2. त्वचा की मलहम
  3. त्वचा का चूर्ण

इन्हें कैसे इस्तेमाल करें, चलिए जानते हैं:

सुबह-शाम का नियम:

  1. चूर्ण: एक चम्मच चूर्ण को गुनगुने पानी में घोलकर पीएं। यह खाना खाने के बाद लें।
  2. तेल: पहले त्वचा को पानी से धोएं। फिर तेल लगाएं और दो मिनट रुकें।
  3. मलहम: तेल के बाद मलहम लगाएं। इसे धोने की जरूरत नहीं।

कुछ जरूरी बातें:

  • तेल लगाकर मालिश न करें।
  • मलहम लगाने के बाद त्वचा को न धोएं।
  • रोज नहाएं।
  • दिन में 2-3 लीटर पानी पीएं।

सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति को खान पान में क्या परहेज करना चाहिए?

  1. खट्टी चीज:

इमली, अचार, दही और छाछ - ये सब खाने में तो स्वादिष्ट लगते हैं, पर पेट के लिए ये "दुश्मन" बन सकते हैं। इनसे पाचन धीमा हो जाता है और पेट में गड़बड़ी हो सकती है।

  1. फल:

पपीता और चीकू जैसे कुछ फल हर किसी के लिए अच्छे नहीं होते। इनसे एलर्जी या पेट दर्द हो सकता है।

  1. बैंगन:

बैंगन स्वादिष्ट तो है, पर कुछ लोगों को इससे गैस या पेट दर्द की शिकायत हो जाती है।

  1. बाहर का खाना:

रेस्टोरेंट और फास्ट फूड में मिलने वाला खाना भले ही लजीज लगे, पर यह सेहत के लिए हानिकारक होता है। इनमें अक्सर ज्यादा तेल, मसाले और नमक डाला जाता है।

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